जहाँ पर हर कोने की अलग अलग ख़ासियत है जहाँ पर हर कोने की अलग अलग ख़ासियत है
कौम कोई हों मगर लहू सबका एक है इंसान बनने की अंतिम ही चाहत है कौम कोई हों मगर लहू सबका एक है इंसान बनने की अंतिम ही चाहत है
हे ! श्रेष्ठ, हे ! सनातन । मुझको सच्चा मार्ग दिखाओ, भक्त को तुम दो अपने दर्शन, वैजयंती ... हे ! श्रेष्ठ, हे ! सनातन । मुझको सच्चा मार्ग दिखाओ, भक्त को तुम दो अपन...
हमारे मानस में चिरप्रवाहित हो श्रीजगन्नाथ जी की भक्ति-सरिता, माताजी की मधुरवाणी ममत्व सैम परमशान्ति... हमारे मानस में चिरप्रवाहित हो श्रीजगन्नाथ जी की भक्ति-सरिता, माताजी की मधुरवाणी...
क्यों कर तुम सनातन भूल गए आखिर क्या कुसूर था, महाकाल का क्यों कर तुम सनातन भूल गए आखिर क्या कुसूर था, महाकाल का
सत्य सनातन, का यह सार है , वसुधैव कुटुंबकम समस्त संसार है। सत्य सनातन, का यह सार है , वसुधैव कुटुंबकम समस्त संसार है।